प्रकृति

यह हरियाली चारो तरफ है |

तुम्हारे लिए

धूप में ना निकला करो |

दर्द भरी ग़ज़ल

जो अपना नहीं उस पर हक क्या जताना ।

तुम्हारे लिए

निगाहों को छेड़ देती है || ये जुल्फों की नजदीकीया || ग़ज़ल ||