एक सुनसान सड़क खौफनाक कहानी | हॉरर स्टोरी (Horror Stories in Hindi)

  •  एक सुनसान सड़क खौफनाक कहानी..

एक सुनसान सड़क खौफनाक कहानी..

2017 की बात है मेरा नाम सुनील है और मैं झारखंड का रहने वाला हूं मैं किसी काम से आना-जाना यहां वहां करता रहता हूं लेकिन मेरे साथ एक बार ऐसी घटना हुई जो बहुत ही भयानक है जिसे सुनकर आपकी रूह तक काम जाएगी अगर मेरी जगह कोई और होता तो इस चीज को बर्दाश्त नहीं कर पता मुझे कभी किसी से डर नहीं लगा ना भूत प्रेत से ना किसी इंसान से क्योंकि मैं बचपन से एक चीज अपने मन में लेकर चलता था कि भूत प्रेत नहीं होते हैं और इसी बात को लेकर मैंने कभी इन सारी चीजों पर विश्वास नहीं किया लेकिन 2017 में अप्रैल का महा था और मैं अपने घर से अपने मौसी के यहां जा रहा था मौसी की बेटी का साथी था और उनको कुछ पैसे देने थे ताकि उनकी शादी में कुछ सहयोग हो सके लेकिन मैं अपनी घटना को अच्छे तरीके से बताता हूं आपको आप ध्यान दें...





अप्रैल में जब मैं अपनी मौसी के यहां जा रहा था तो मैं सोच रहा था कि मैं कौन से दिन अपनी मौसी के यहां जाऊं और उनका सहयोग करूं क्योंकि शादी का दिन नजदीक आ गया था मैं सोचा कि किस रास्ते से मुझे जाना अच्छा होगा क्योंकि मेरा कॉलेज बहुत देर से छुट्टी हुआ था मुझे कॉलेज में कुछ विषयों के लिए प्रैक्टिकल देना था मैं मारवाड़ी कॉलेज का लड़का हूं मैं मारवाड़ी कॉलेज से पढ़ाई कर रहा था मैंने सारे दोस्त कह रहे थे कि हम भी चलेंगे तुम्हारी मौसी के यहां मैं सभी के बातों को नजरअंदाज करते हुए कॉलेज से अपनी सारी किताबें को लेकर घर की तरफ बढ़ा उसके बाद में अपनी मां से पूछा की मां मैं अब मौसी के यहां जा रहा हूं आपने जो पैसे दिए हैं उनको देने के लिए इतना कह कर मैं अपने घर से अपनी गाड़ी को निकाला और चल दिया...


जाने से पहले मैंने अपनी गाड़ी को अच्छी तरीके से देखा कहीं किसी तरीके से कोई खराबी तो नहीं है क्योंकि मुझे दूर तक का रास्ता तय करना था मैंने गाड़ी में हवा डलवाया पेट्रोल डलवाया उसके बाद में धीरे-धीरे हेलमेट लगा करके चल दिया समय 2:00 बज रहे थे दोपहर के और मुझे थोड़ी दूर जाना था उसे जगह का नाम हजारीबाग था लेकिन बात यहीं पर खत्म नहीं होती है मैं  पतरातु घाटी से होकर जाने वाला था मैं पूर्ण तरीके से इस बात का निर्णय ले लिया था लेकिन यहां पर एक समस्या थी कि मेरे घर से निकलते हुए तीन बज चुके थे सारा काम करवाने के बाद..


मुझे एक बात का डर सता रहा था कि कहीं शाम ना हो जाए क्योंकि मेरी गाड़ी बहुत पुरानी थी और मुझे इस गाड़ी पर भरोसा नहीं था कि कब कहां पर यह गाड़ी धोखा दे दे लेकिन फिर भी मैं मन बनाया था कि मुझे जाना है तो मैं चल दिया जाते-जाते मुझे कुछ लोग दिखाई दिए मैंने वहां से जैसे ही पास किया तुम मुझे वहां पर दिखाई दिया कि एक औरत अपने बच्चों को लेकर बैठी हुई है और आगे जाने पर पता चला कि उसका पति वहीं पर दुर्घटना में मृत्यु हो गई मुझे जब यह जानकारी मिली रास्ते में मैं यह सोचकर घबरा गया कि उसके घर वालों को क्या होगा इन सारी चीजों से गुजरते हुए धीरे-धीरे संध्या हो चली थी शाम का जो किरण था वह भी ढल चुका था पूर्ण तरीके से मैं आगे बढ़ रहा था धीरे-धीरे क्योंकि तेज रफ्तार में मुझे गाड़ी चलाना अच्छा नहीं लगता है और शाम की यह मस्तानी हवा मां को छू रही थी लेकिन मेरी मां ने मुझे बताया था कि शाम की हवा को कभी भी अच्छा नहीं कहना क्योंकि इन हवाओं में  भूतों पाटो की आत्माएं भटकती है लेकिन मुझे इस बात का बिल्कुल भी कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि मैं इन सारी चीजों में नहीं मां मैं जा रहा था आपने अगर सुना होगा तो मैं आपको बताना चाहता हूं कि एक जगह है पतरातु घाटी....


यह पतरातु घाटी बहुत ही सुनसान घाटी होती है शाम के समय में अक्सर दिन में यहां पर बहुत ही चहलकर्मी होती है लोग दूर से आते हैं यहां पर घूमने फिरने के लिए लेकिन सामने यह बहुत ही सुनसान यहां पर एक चिड़िया भी छू छू नहीं करती लोग यहां पर घंटे तक आना-जाना देर देर से करते हैं...


मैं घाटी में जैसे ही घुसा और मैं धीरे-धीरे अपनी गाड़ी को चलाने लगा मेरे शरीर में कुछ ऐसा महसूस हुआ जैसे इन हवाओं में कुछ था जो मेरे पूरे रूम को छूकर पर हुआ लेकिन मेरे ध्यान में यह था की सारी चीज बेकार होती है कुछ भी नहीं होती है मेरी गाड़ी चलती गई आगे मैं अपने गाड़ी का लाइट चलाया क्योंकि शाम हो चुकी थी मैं जैसे-जैसे जा रहा था वैसे-वैसे मुझे लग रहा था कि दो-चार गाड़ियां मेरे पीछे से आ रही है लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं था मैं अपने गाड़ी के शीशे में देख रहा था...


फिर अचानक पीछे से एक लाइट चली और मैंने देखा कि वह गाड़ी बहुत तेज रख्तर है तो मैं साइड हो गया और उसे गाड़ी को मैंने जाने दिया लेकिन वह गाड़ी जैसे गई मुझे ऐसा लगा कि मेरे तरफ कुछ बड़ा और मैं डर गया मेरी हैंडल गाड़ी की थोड़ा सा हिल गई थी और मैं गिरते गिरते बचा था लेकिन इन सारी चीजों को देखते हुए मुझे अंदर से बहुत घबराहट होने लगी थी क्योंकि पहली बार मेरे साथ कुछ ऐसा हुआ था...


मैं सोच रहा था जितना जल्दी में यहां से निकल जाऊं बहुत अच्छा होगा क्योंकि आप धीरे-धीरे दर मेरे पूरे तन बदन में होने लगा था क्योंकि अगर आपको डर लगता है तो आपके शरीर के छोटे-छोटे जो बाल हैं वह खड़े हो जाते हैं मेरे साथ ऐसा ही होने लगा था मुझे थोड़ा-थोड़ा ठंड लगने लगा था क्योंकि वह ठंड का मौसम लेकिन इन सारी चीजों को देखते हुए मैं आगे बढ़ने का निर्णय लेता हूं और आगे बढ़ने लगता हूं आगे जाते-जाते मुझे एक छोटी बच्ची दिखाई देती है जो वहां पर अक्सर भीख मांगा करती थी मैं सोचा कि शायद वही बच्ची होगी मैंने उसे उसे पर ध्यान नहीं दिया क्योंकि उसके पीछे एक बूढी औरत भी थी शायद वह लोग घर जा रहे होंगे लेकिन मैं जैसे उसे मोड से पर हुआ उन लोगों को देखते हुए..

आगे जाकर पता चला कि वह लोग फिर आगे एक मोड में बैठे हुए हैं और कुछ खा रहे हैं अपने हाथों में लेकर मैं यह चीज देखकर दंग रह गया और मेरे मुंह से एक शब्द नहीं निकल रहा था मैं अब मन के अलावा कोई शब्द का प्रयोग नहीं कर पा रहा था मुझे समझ में नहीं आ रहा था मेरे साथ क्या हो रहा है ..


अब डर पूरे तरीके से चरम सीमा तक पहुंच चुकी थी क्योंकि मैंने उसे बच्ची और उसे वृद्ध महिला को दोबारा देख लिया था मैं अपने मन को शांत करने की कोशिश कर रहा था लेकिन मेरा मन शांत नहीं हो रहा था मैं अंदर से पूरी तरीके से बौखला गया था आखिर यह मेरे साथ क्या हो रहा है या मैं सपने देख रहा हूं या फिर मेरे साथ धोखा हो रहा है मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा था चारों तरफ में देख रहा था अंधेरा या अंधेरा मेरी गाड़ी की लाइट जहां तक जा रही थी वहां तक सिर्फ रोशनी थी चारों तरफ अंधेरा ही अंधेरा था मैं और भी घबरा रहा था अंदर से लेकिन आगे जाने के बाद मुझे एक छोटा सा दुकान दिखाई दिया मैं सोचा कि यहां पर बैठकर कुछ देर खुद को आराम दे लेता हूं उसके बाद में आगे जाऊंगा क्योंकि मुझे और 2 घंटे का रास्ता तय करना था मेरे साथ गलती यह हुई कि मैं बहुत लेट से निकाल मुझे जल्दी निकल जानी चाहिए थी ताकि इस रात का सामना नहीं करना पड़ता...


मैं एक छोटे से झोपड़पट्टी जैसे दुकान पर रुका वहां पर मैंने बोला कि अंकल कुछ खाने के लिए है क्या अंकल ने मुझे चाय दी और मुझे दो ब्रेड दिया फिर अंकल ने मेरी तरफ देखा मैं काफी घबराया हुआ था मेरे हाथ कहां पर रहे थे चाय की प्याली को पकड़े हुए तो अंकल ने पूछा कि क्या हुआ ठंड लग रही है क्या शाम में जब निकलते हो तो कुछ पहन के निकला करो सामने ठंड बढ़ जाती है इस इलाके में मैं सोचा कि शायद अंकल सही कह रहे हैं शाम में ठंड बढ़ जाती होगी क्योंकि यह पहाड़ी इलाका है यह सारी चीजों को देखते हुए सुनते हुए मेरे मन से थोड़ा-थोड़ा डर है रहा था लेकिन मैं अंदर से पूरी तरीके से डरा हुआ था जो डर मेरे चेहरे पर दिख रहा था...



लेकिन फिर अचानक अंकल ने मुझे कल कहा मैं ध्यान नहीं दे पाया क्योंकि मेरे ध्यान में बस वह  बूढी महिला और उसकी छोटी बच्ची मेरे ध्यान में चल रही थी अंकल ने मेरी तरफ देखा और मुझे कहा कि सुनो बेटा तुम्हारे साथ क्या दिक्कत है तुम मुझे बताओ मैं तुम्हें बताऊंगा कि तुम्हें क्या करना चाहिए क्योंकि मैं इतना ज्यादा घबराया हुआ था और मुझे इतना दूर जाना भी था मैं सोचा कि मैं यह सारी बातें अंकल को बताता हूं ताकि यह मुझे कुछ सही राय दें क्योंकि मुझे 2 घंटा रास्ता और तय करना था और वह भी मेरे गाड़ी से और मैं अंदर से डरा हुआ था मुझे समझ में कुछ नहीं आ रहा था मैंने अंकल को बताया कि अंकल मैंने ऐसा कुछ देखा है कि एक छोटी बच्ची और उसके साथ एक बूढी औरत वह दोनों रास्ते के किनारे से जा रहे थे और उन लोगों को मैंने दो बार देखा...


तो अंकल ने कहा कि तुमने उन्हें कुछ कहा मैंने कहा कि मैं उन लोगों को कुछ नहीं कहा अंकल ने कहा कि तुम बाल बाल बच गए अच्छा हुआ कि तुमने उन लोगों से बातचीत नहीं कि तुम अपना  अच्छा से आ गए क्योंकि वह लोग यहां के नहीं हैं वह लोग कहीं बाहर से आए हुए थे उनके बारे में हम कल बताना शुरू कर देते हैं और मैं ध्यान से सुनने लगता हूं अंकल ने कि वह लोग बाहर से यहां पर घूमने के लिए आए हुए थे लेकिन फोटो खिंचवाने के  लिए एक चट्टान पर चढ़े थे और वहां से फिसल जाने के वजह से उसे बूढी महिला और उसे छोटी बच्ची की मौत हो गई जिसकी लाश आज तक नहीं मिल पाई है यह घटना पतरातु घाटी की है जो बहुत ही पुरानी है यह 2001की बीच की बात है  उसके बाद से उनकी आत्मा इसी रास्ते पर भटकती है और अपने बेटे को और अच्छी अपनी मां को ढूंढती है कि मुझे घर ले चलो मुझे घर ले चलो बहुत बार ऐसा भी सुनने के लिए आया है कि जब बस आती है तो वह बूढी औरत बस को रूकवाती है और बोलती है बेटा मुझे अपने घर छोड़ दो और वह छोटी बच्ची कभी-कभी रात जिसको रोते हुए देख करके बहुत सारे लोग गाड़ी को रोक देते हैं जिसकी वजह से दुर्घटना हो जाती है और बहुत सारे लोगों को दुर्घटना में मौत का सामना करना पड़ा है...


तुम बहुत लकी हो कि इन सारी चीजों को देखने के बाद तुम अभी सही सलामत  यहां पर पहुंचे हो अब यहां से किसी भगवान का नाम लो और धीरे-धीरे अपने मंजिल की तरफ बढ़ चलो...


इतने सारे बातें होने के बावजूद मैं अपने आप को रोक नहीं पा रहा था मेरे अंदर से घबराहट और भी तेज हो रही थी क्योंकि यह सारी चीज मेरे साथ पहली बार हुई थी मैं इन सब चीजों को देखते हुए मन में एक बात को लाता हूं कि अब मैं धीरे-धीरे निकल जाता हूं जितनी जल्दी हो पता है क्योंकि अब मैं पूरी तरीके से कहानी जान गया था और यह मेरी जीवन का पहला एक ऐसा घटना था जो मेरे जीवन को झांझर कर रख दिया क्योंकि इस तरीके की कोई कल्पना नहीं की थी...


उसके बाद में अंकल के दुकान से उनको उनके पैसे देकर के वहां से चल देता हूं अपनी मौसी के यहां धीरे-धीरे मैं रास्ते में हनुमान चालीसा पढ़ते हुए जाने की कोशिश करता हूं लेकिन मुझे हनुमान चालीसा पूरे तरीके से याद नहीं था मुझे जितना भी याद था मैं उसे गुनगुनाता हुआ रास्ते में निकल जाता हूं 2 घंटा कैसे बीत जाता है मुझे पता नहीं चला मैं मौसी के यहां पहुंचता हूं मैं खाना पीना खाता हूं और मौसी को सारी बातें बताता हूं मौसी ने कहा भगवान का शुक्र है कि तुम्हें कुछ नहीं हुआ ...


मौसी का कहना था कि उसे रास्ते में शाम में आना जाना बहुत कम लोग करते हैं आज के बाद ध्यान रखना की  शाम में उसे रास्ते से आना जाना मत करना उसके बाद से मैं कभी भी मौसी के यहां जाता हूं तो शाम में आना जाना उसे रास्ते से कभी नहीं करता...


यह मेरी कहानी है अगर आपको पसंद आई हो तो आप फिर से हमारी कहानी और दूसरी बात हमारा एक यूट्यूब चैनल है जिसमें आपका सपोर्ट चाहिए यूट्यूब चैनल का लिंक नीचे दिया हुआ है...

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