- एक अजीब रात
यह कहानी बहुत ही पुरानी है लेकिन जितनी पुरानी है उतने दिलचस्प है और उतनी ही खतरनाक है आप दिल थाम के इस कहानी को पढ़िए क्योंकि वह तो bhoot की कहानी आपने बहुत सारी पड़ी होगी लेकिन ऐसी कहानी आप कभी नहीं पढ़े होंगे यह मेरा विश्वास है तो कहानी की शुरुआत होती है एक अजीब रात..
एक पुराने हवेली में जब चांदनी की किरणें छिड़कने लगी वहां शुरू हुआ खूनी तांडव इसके पीछे का रहस्य किसी को भी मालूम नहीं था अंधेरे को चीरते हुए एक भूत नाचे लगा उसकी हंसी में छपी दरिंदगी सभी को भयभीत कर रही थी यह सारी नजारे को देखकर वहां के जितने सारे लोग थे सारे लोग हैरान हो गए यह एक पुरानी हवेली की कहानी है यह कहानी की शुरुआत है आप आगे पढ़ने जाएं आपको धीरे-धीरे समझ में आएगा की कहानी कहां पर किस तरीके से कौन सा मोड़ लेती है..
जब वीरान हवेली की दीवारों में खून की चित्रित ध्वनि उठी तो सभी ने अपने हृदय में घबराहट महसूस की और न जाने कितने सारे बच्चे रो-रो करके पूरे हवेली में मातम सा छा गया और उसकी माता बहनों ने उन्हें चुप करने के लिए क्या कुछ नहीं किया लेकिन इस तरीके से भुतहा धोनी को सुनकर लोग इतने भयभीत हो गए जिसकी किसी तरीके से कोई गाना नहीं की जा सकती..
क्या यह भूत था या कहीं किसी का पिता हुआ अपराध यह सवालों के खेड़े में था क्योंकि अचानक सालों बाद हवेली में इस तरीके की घटना होने एक अजीब बात थी सभी के लिए सवालों का सिलसिला बढ़ता रहा लेकिन उसे भूत का खौफनाक तांडव पर हंसता रहा जैसे कि एक अदृश्य शैतान का रहस्यमई नृत्य हो क्योंकि यह जो हवेली थी यह राजा विजय प्रताप की थी यह विजय प्रताप बहुत ही जाने-माने शूरवीर हमारे का जाते हैं और उनकी हवेली मैसूर में स्थित है..
रात की गहराई में बसी एक पुरानी हवेली जिसमें जिंदगी की कहानियों का समय रुका हुआ था हवेली का सरनेम खूनी तांडव था क्योंकि जो लोग यहां पर आकर यहां से जा चुके हैं उन्होंने अपनी आप बीती जैसे लोगों को बताई है उसे अनुसार से यहां खूनी तांडव होता रहा है शुरू से अभी तक इसलिए इसका सरनेम रखा गया है खूनी तांडव..
वहां के लोग ए सुनते थे की रात के समय हवेली की अंदरुनी में एक अजीबो गरीब आवाज सुनाई देती है और फिर खूनी तांडव शुरू हो जाता है एक रात एक नायक ने इस हवेली को छूने का निर्णय किया अर्थात कहने का मतलब यह है कि उसके गहराइयों तक उन बातों की गहराइयों तक जाने की कोशिश की एक व्यक्ति जो वहां का नायक माना जाता था मुखिया सरपंच जिस तरीके से होते हैं उसे तरीके से नायक होता है गांव में जिस किसी चीज से डर भाई नहीं लगता है वह व्यक्ति...
जब वह हवेली में पहुंचा तो वहां की अंधकारी कमरों में खून की बूंदे छेड़ रही थी और एक भूत खौफनाक रूप से नृत्य कर रहा था नायक ने भूत से बातचीत की और जाना कि यह भूत एक क्रूर राजा था जिसने अधर्मी तानाशाही करते हुए अपने पर्चा को उत्पीड़ित किया था और उसके क्रूर तांडव का परिणाम था यह भूत...
जो नायक वहां पर भूतों से बातें करने के लिए अपनी हिम्मत जुटा कर गया था उसके कोई परिवार के सदस्य जिंदा नहीं थे क्योंकि इस हवेली में उसके परिवार के सदस्य काम किया करते थे और एक राजा जो क्रूर रूप से शासन करता था जो मारा जा चुका था जिसका भूत उसे हवेली में था उसके वजह से इसके पूरे परिवार को जिंदा जला दिया गया था...
नायक ने भूत से उसकी खोल दुख भरी कहानी सुनी और उससे मिलकर एक योजना बनाई वह योजना यह थी कि यहां के लोगों को शांतिपूर्ण रहने के लिए छोड़ दिया जाए जिसके वजह से वह उसे जो चाहे वह देने को तैयार था गांव वालों की मर्जी के खिलाफ वह भूत को शांति मिलने के लिए राजा की दुर्गति का कारण बताता है और उसे धर्म पराजय राजा बनने के लिए प्रेरित करता है...
उसने नायक की सुनी और उसकी मदद से धर्म पर्यान राजा बन गया उसके पर्चा को शांति मिली और हवेली में खौफनाक टंडन का अंत हुआ नायक ने अपनी सहस्य और समर्पण से सबको मिलने वाली शांति का एहसास किया जिसके वजह से नायक को हमेशा उसे हवेली का रक्षा घोषित कर दिया गया..
इस कहानी से यह सीखने को मिलती है किसी भी समस्या का समाधान समर्पणऔर समझदारी से हो सकता है...