जब मोम बिना जले पिघलता रहा होगा ।
क्या वह तुम्हें पहली मुलाकात याद है ।
हमारे बीच हुई हर लम्हों की बात याद है । ।
बात एक थी राधा एक थी ।
हम एक थे तुम एक थी । ।
ना जाने यह सदियों का रिश्ता एक पल में कैसे हो गया ।
तुम्हारी नजरें झुकी मैंने तुम्हें देखा यह दिल तुम्हारा हो गया । ।
बीता जमाना क्या याद करूं ख्वाबों में जीता रहा हूं मैं ।
कभी मुस्कुराता कभी हंसता कभी खुद को रुलाता रहा हूं मैं । ।
वह रात नासूर खंजर सी थी ।
जिस रात तुम्हारे आंख से आंसू के दो बूंद टपक पड़े । ।
दिल छन्नी सा हो जाता है दर्पण भी ना होते होंगे ऐसे ।
चलो मैं मिला तुमसे दो पल दो वक्त पहले । ।
कि आज मेरे दिल की हालत क्या है तुझे देखकर यह हमसे कोई तो पूछे ।
क्या गुजरी होगी वह बेनाम वक्त ही जाने । ।
जब मोम बिना जले पिघलता रहा होगा ।
हवाओं के झोंकों में खुद संभालता रहा होगा । ।
तुम्हारे शहर की कुछ अलग ही बात है ।
शाम की मस्तानी हवा में धूल आंखों में भी बढ़ जाते हैं । ।
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हिफाजत कब तक करूं मैं उसकी |