जब मोम बिना जले पिघलता रहा होगा । Hindi Ghazal

जब मोम बिना जले पिघलता रहा होगा ।



क्या वह तुम्हें पहली मुलाकात याद है ।

हमारे बीच हुई हर लम्हों की बात याद है । ।


बात एक थी राधा एक थी ।

हम एक थे तुम एक थी । ।


ना जाने यह सदियों का रिश्ता एक पल में कैसे हो गया ।

तुम्हारी नजरें झुकी मैंने तुम्हें देखा यह दिल तुम्हारा हो गया । ।


बीता जमाना क्या याद करूं ख्वाबों में जीता रहा हूं मैं ।

कभी मुस्कुराता कभी हंसता कभी खुद को रुलाता रहा हूं मैं । ।


वह रात नासूर खंजर   सी थी ।

जिस रात तुम्हारे आंख से आंसू के दो बूंद टपक पड़े । ।


दिल छन्नी सा हो  जाता है  दर्पण भी ना होते होंगे ऐसे  ।

चलो मैं मिला तुमसे दो पल दो वक्त पहले । ।


कि आज मेरे दिल की हालत क्या है तुझे देखकर यह हमसे कोई तो पूछे ।

क्या गुजरी होगी वह बेनाम वक्त ही जाने । ।


जब मोम बिना जले पिघलता रहा होगा ।

हवाओं के झोंकों में खुद  संभालता रहा होगा  । ।


तुम्हारे शहर की कुछ अलग ही बात है  ।

शाम की मस्तानी हवा में धूल आंखों में भी बढ़ जाते हैं  । ।

हिफाजत कब तक करूं मैं उसकी 
 

सिद्धार्थ शर्मा बोकारो, झारखंड


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