घर में गूंजती हुई वह छन छन की आवाज | हॉरर स्टोरी (Horror Stories in Hindi)

 घर में गूंजती हुई वह छन छन की आवाज..

नमस्कार दोस्तों स्वाति का भेजा हुआ एक बहुत ही खौफनाक कहानी है हमारे पास उन्होंने अपने बचपन के बारे में कुछ बताया है और उससे जुड़ी घटनाओं के बारे में बताया है जब वह छोटी क्लास में पढ़ाई करें क्या करती थी...


जब स्वामी क्लास 7 में थी उसे वक्त की कहानी है यह स्वाति ने हमें लिखा है कि वह एक ऐसे डर से गुजरी है जब उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करें यह बहुत ही खतरनाक कहानी इसलिए कहा जा सकता है क्योंकि छोटी उम्र में इस तरीके का सामना करना  भूतों से बहुत ही भयानक बात है तो चलिए हम कहानी की शुरुआत करते हैं..


बात है 2004 की जब स्वाति क्लास 7 में पढ़ाई किया करती थी उसका घर बोकारो जिला में पड़ता है उसका जो घर है वह गांव से थोड़ा बाहर पड़ता है क्योंकि उसके दादाजी का एक पूछते नहीं मकान हुआ करता था वह पूछते नहीं मकान गांव के बाहर स्थित था जिसके वजह से उसके पिता और उसकी माता जी उसे घर में रहा करते थे और वहीं से उसकी पढ़ाई लिखाई होता था वह एक सरकारी विद्यालय में पढ़ाई किया करती थी वह दिन में अपने सारे काम किया करती थी और स्कूल भी जाते थे और रात में समय निकाल करके खाना बनाने के बाद छत पर जाकर पढ़ाई करती थी तो यह कहानी शुरू होती है उसके पढ़ाई करने के स्थान से तो चलिए हम दिल थाम के बैठते हैं और शुरू करते हैं उनकी कहानी की आखिर इनको किस तरीके से इन सारी चीजों को झेलना पड़ा खाने का तात्पर्य यह है एक चुड़ैल का सामना करना पड़ा...

घर में गूंजती हुई वह छन छन की आवाज | हॉरर स्टोरी (Horror Stories in Hindi)

बात 2004 की है  जब स्वाति कक्षा साथ में पढ़ाई क्या करते थे उसके साथ उसके चाचा और उसके पड़ोस की कुछ बच्चे भी पढ़ाई किया करते थे एक साथ बैठ  कर खाना बनाने के बाद स्वाति रोजमर्रा की तरह एक रोज बैठकर के पढ़ाई करना शुरू करती है..

रोजमर्रा की तरह हवाएं चलना शुरू हो जाती है उसे वक्त बिजली उतना ज्यादा गांव तक नहीं पहुंच पाए थे तो थोड़ा-थोड़ा लैंप का सहारा लेना पड़ता था पढ़ाई करने के लिए क्योंकि बिजली हर घर में मौजूद नहीं थी और अगर मौजूद भी थी तो वह पूरे तरीके से समय सीमा बाधित करती थी खाने का मतलब यह है कि वह समय पर बिजली काम नहीं आते थे वह अंधकार में ही गुजारा करना पड़ता था...


स्वाति पढ़ाई करने के लिए बैठ गई थी और उसके साथ उसके भाई-बहन भी बैठ गए थे जो आज पड़ोस के थे और सारे लोग मन लगाकर पढ़ाई कर रहे थे अचानक हवाओं के चलने के साथ में कुछ ऐसा एहसास हुआ स्वाति को जिससे स्वाति थोड़ा डर गई और वह चारों तरफ देखने लगी उसे ऐसा एहसास हुआ जैसे कि उसके आमने-सामने कोई है और उसके आसपास से कोई गुजारा हो लेकिन फिर इन सारी बातों को भूल करके वह बच्चों से बात करने लगी और अपने भाई बहन के साथ में पढ़ाई करना जारी रखा अचानक कुछ देर बाद फिर इसी तरीके से एहसास होता है स्वाति को स्वाति समझ नहीं पाती थी आखिर उसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है कुछ देर के बाद उसके आस पड़ोस के बच्चे चले जाते हैं और स्वाति को बहुत सारा और भी लिखना था पढ़ना था तो स्वाति अकेले बैठ करके पढ़ाई करने लगती है..


सारे बच्चे अपने-अपने घर जा चुके थे स्वाति अकेले बैठ करके पढ़ाई कर रही थी फिर इसी तरीके से दवाओं की चलने की आवाज सुनाई थी स्वाति को लगा कि कुछ भी नहीं है यह हवाएं चल रही है जिसकी वजह से मुझे ऐसा एहसास हो रहा है और वह लगातार पढ़ने पर ध्यान दे रही थी अचानक किसी बीच उसके कानों में एक पायल की झांकने की आवाज सुनाई थी जो पायल छन छन करके छनक रहे थे अब उसका ध्यान उसे पायल के झंकार में चला गया कि आखिर मेरे घर में पायल रात में कौन पहन के घूम रहा है..


स्वाति के घर में उसके गांव की कुछ महिलाएं आया करती थी उसकी माता से बातचीत करने के लिए तो स्वाति को ऐसा लगा जैसे कि उसके घर में कोई बगल के घर की महिला आई है उसकी माता से बातचीत करने के लिए इसलिए स्वामी ने ध्यान नहीं दिया लेकिन यह चीज बढ़ती चली गई.. इसी बीच अचानक स्वाति के मां ने स्वाति को बुलाया की बेटी यहां पर आओ खाना खा लो अब ज्यादा रात हो चुकी है फिर आराम से पढ़ाई करना या फिर सो जाना यह बोलकर के इसी बीच स्वाति ने अपनी मां से पूछा की मां कोई आई है क्या स्वाति के माता ने जवाब दिया कि नहीं कोई नहीं आया है तुम नीचे आकर के खाना खा लो क्योंकि स्वाति छठ के ऊपर पढ़ाई कर रही थी ..

घर में गूंजती हुई वह छन छन की आवाज | हॉरर स्टोरी (Horror Stories in Hindi)

इतनी बात सुनते ही स्वाति छत से नीचे दौडी भाग चली आई क्योंकि उसके मन में यह बात तुरंत घूमने लगी कि जब मेरे घर में पायल पहन के कोई नहीं आई है तो यह पायल की झंकार मुझे कहां से सुनाई दे रही है छत पर मैं अकेली बैठी हुई हूं आखिर यह आवाज कहां से आ रही है यह बात को अच्छे तरीके से अपनी मां से पूछने के लिए स्वाति दौडी भाग अपनी मां के पास पहुंची  और अपनी मां से पूछता है मन क्या कोई बगल की लड़की या कोई औरत हमारे घर में आई थी आपसे बात करने के लिए उसकी मां ने साफ इनकार कर दिया और डांटे हुए कहा कि तुम अकेले बैठकर पढ़ रही थी मैंने तुम्हें खाना खाने के लिए बुलाया तो तुम बहाने बना रही हो तुम चुपचाप खाना खा लो उसके बाद सो जाओ रात बहुत ज्यादा हो गई है.. डांट सुनने के बाद वह खाना खाने चली गई उसके बाद खाना खाकर सोने लगी जब वह सोने की कोशिश कर रही थी तो वह आवाज फिर से उसके कान में सुनाई थी वह जब उठ करके यहां वहां देखने लगी तो उसकी मां ने फिर से उसको डांटा कि ऐसा क्या है जो तुम यहां वहां तुम्हारा ध्यान भटक रहा है क्या तुम ढूंढ रही हो इतनी रात को यह सारी बातें सुनने के बाद भी स्वाति ने अपनी मां से कुछ भी नहीं कहा और वह सो गई...


रात के 1:00 रहे थे और उसके सपने में एक लड़की आती है जो बहुत ही भयानक दिख रही थी और उसकी आवाज भी बहुत कुरकुरी थी और वह लड़की उसके सामने खड़ी हो जाती है और कहती है कि तुम मुझसे डरो मत मैं तुमसे बातें करना चाहती हूं मैं तुम्हारे साथ खेलना कूदना चाहती हूं क्योंकि मैं  तुम्हें पसंद करती हूं स्वाति सपने में ही डर से कांपने लगी और उसके पूरे शरीर से पसीने निकलने लगे वह अंदर से बहुत डर चुकी थी यह सुनने के बाद जो उसके सपने में हुआ था वह जग करके बैठ गई और अपनी मां को उठाने लगी जब उसकी मां उठी उसकी मां ने उसे पानी पिलाया फिर उसकी मां ने पूछा कि ऐसा क्या तुम्हारे साथ हुआ जो तुम इतनी डरी हुई हो उसने सारी बात अपनी मां को कहा कि मन ऐसे ऐसे बात है उसकी मां ने उससे कहा कि तुम बहुत इधर-उधर खेलती हो इसी का नतीजा है तुम चुपचाप होकर सो जाओ उसकी मां को लगा कि यह लड़की कुछ कहानियां बना रही है जितना बोलने के बाद उसकी मां ने उसे सुला दिया....


दूसरी रात फिर से सारी चीज बराबर हुई उसके बाद जब वह खाना खाकर सोने लगी तो फिर वह लड़की का सपना आया जिसके चेहरे पर जले हुए का निशान था और वह स्वाति के सपने में आकर बोल रही थी कि मैं तुम्हारी दोस्त बनना चाहती हूं तुम्हारे साथ खेलना कूदना चाहती हूं क्योंकि मैं तुम्हें बहुत पसंद करती हूं इस बार बिल्कुल भी पहली रात के जैसा नहीं हुआ इस बार बहुत ही भयानक रात थी क्योंकि इस बार वह लड़की स्वाति को उसके साथ खेलने के लिए चुने के लिए हाथ आगे बढ़ती है और स्वामी के हाथ में छुट्टी है जिससे स्वाति का नींद टूट जाता है और वह आंख खोल कर देखती है कि उसके हाथ में एक निशान है जो कालेपन का है..


इस बार वह फिर अपनी मां को उठती है और कहती है की मां मुझे बहुत डर लग रहा है मुझे अब यहां नहीं सोना है उसकी मां ने उसे फिर डांटा तो दांतों के बाद अपने हाथ को आगे बढ़ती है और अपनी मां को दिखाती है कि देखो यह क्या है मैं तुम्हें बोल रही हूं मुझे डर लग रहा है मैं यहां नहीं सोना चाहती तुम समझ क्यों नहीं रही हो उसकी मां ने कहा कि कोई बात नहीं है और रात में उठकर पूजा रूम जाती है उसकी मां और वहां से गंगाजल लाकर उसके हाथ में लगती है और उसे सोने के लिए कहती है कुछ देर के बाद...


 वह स्वाति आराम से सो जाती है  सुबह जैसे होता है स्वाति की मां एक पंडित के पास जाती है और उनका सारा बात बताती है स्वाति भी अपनी मां के साथ जाती है पंडित जी कुछ देर रुकते हैं पूजा पाठ करने के बाद पंडित जी कहते हैं कि देखी आपकी बेटी जिस रास्ते से जाती है उसे रास्ते में एक कब्रिस्तान पड़ता है उसका विस्तार में एक छोटी लड़की को गढ़ दिया गया था उसकी कुछ बीमारियों के वजह से मृत्यु हो गई थी वह लड़की आपकी बेटी के साथ खेलना कूदना चाहती है क्योंकि उसकी आत्मा को शांति नहीं मिली है वह लड़की ही आपकी बेटी को तंग कर रही है अच्छा हुआ आप बहुत जल्द आ गए हमारे पास वरना आपकी बेटी को वह अपने साथ ले जाने वाली थी..


इतना सुनने के बाद उसकी मां बहुत जोर-जोर से रोने लगती है रहती है मेरी एक ही बेटी है पंडित जी कुछ कीजिए आप मैं इसको खोना नहीं चाहती हूं और आखिर वह लड़की मेरी बेटी के साथ ही क्यों खेलना चाहती है पंडित जी ने फिर से कहा कि वह लड़की आपकी बेटी को पसंद करती है क्योंकि आपकी बेटी किसी के लिए बुरा नहीं चाहती है और वह सच्चे मन की है इसलिए पंडित जी ने फिर कहा कि मैं आपको एक कलवा देता हूं आप अपनी बेटी के हाथों में एक अलावा बंद दीजिए इसके हाथों में जो यह कालेपन का दाग है जला हुआ जैसा निशान यह ठीक हो जाएगा और आज के बाद यह आत्मा उसका पीछा नहीं करेगी इतना बोलने के बाद पंडित जी मंदिर के अंदर जाते हैं और कलवा लाकर के उसके हाथों में बांध देते हैं और उसको घर भेज देते हैं कुछ दिन तो सब कुछ सही सलामत बीतता है उसके बाद फिर से एक बार इसी तरीके से सपने में वह स्वाति देखी है उसे लड़की को वह लड़की जो उसके सपने में आई थी वह बहुत गुस्से में थी वह कह रही थी कि तुमने मुझे अपने दोस्ती का प्रमाण नहीं दिया मैं तुमसे बहुत गुस्सा हूं मैं तुम्हें अपने साथ ले जाऊंगी बहुत जल्द इतना बोलने के बाद उसका सपना टूट जाता है और वह यह सारी बात फिर अपनी मां को बताती है वह लोग फिर से पंडित जी के पास जाते हैं और इस बार वहां पर प्रेत शांति का हवन होता है जिसके द्वारा उसे आत्मा की शांति करवा दी जाती है और स्वाति को इन सारी चीजों से छुटकारा मिल जाता है ... यह कहानी हमें भेजने के लिए आपका धन्यवाद स्वाति जी अगर ऐसी कहानी या फिर इस तरीके से अगर आपके साथ सच्ची घटना बीती हो तो आप भी हमें भेज सकते हैं हमारा ईमेल आईडी कांटेक्ट में आपको मिल जाएगा धन्यवाद आप सभी....


घर में गूंजती हुई वह छन छन की आवाज | हॉरर स्टोरी (Horror Stories in Hindi)

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