जो अपना नहीं उस पर हक क्या जताना ।

 जो अपना नहीं उस पर हक क्या जताना ।



जो अपना नहीं उस पर हक क्या जताना ।

हर किसी को दिल का बात क्यों बताना । ।


नजर किसी की निगाहें किसी की ।

देखने का नजरिया कुछ और है । ।


कैसे छुपाऊं अपने मन की बात  ।

जहां तक नजर जाती है वहां तक मन में छिपे बातों का एक अलग ही चोर है । ।


जो अपना नहीं उस पर हक क्या जताना ।

हर किसी को दिल का बात क्यों बताना । ।


रिश्तो की अहमियत हम क्या जाने ।

हमने तो हर कतरा संभाल के रखा है । ।


जिसको समझता रहा मासूम हर पल में ।

शतरंज की आखिरी बाजी  उसी ने खेली थी । ।


कितना आसान होता है रिश्तो का रिश्तो से जुड़ाव खत्म करना ।

बातें यादें मुलाकातें वादे न जाने और कितने पत्ते होते हैं एक डाल दें । ।


जो अपना नहीं उस पर क्या हक जताना ।

हर किसी को दिल का बात क्या बताना । । 



हिफाजत कब तक करूं मैं उसकी 
 

सिद्धार्थ शर्मा बोकारो, झारखंड




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