मां जैसी मेरी दुनिया में कोई भी नहीं |

 मां जैसी मेरी दुनिया में कोई भी नहीं



 मां जैसी मेरी दुनिया में कोई भी नहीं..

 सही कहा है हमने मां जैसी मेरी दुनिया में कोई नहीं..


 घर की एक रोशनी है ना..

 जिससे रोशन है सारे परिवार वाले..


 कैसे कह दूं गुस्से में अकेला रह लूंगा मैं..

 मां के बगैर कुछ भी नहीं हूं मैं..


 बाहर ठहर कर देखा है घर से हमने..

 मां के सिवा एक निवाला पूछने वाला कोई नहीं..


 इश्क मोहब्बत और इतराव खूब..

 मां इतना प्यार कहां पाओगे..


 नखरे गुस्सा और यह खामोशी..

 मां के सिवा कोई और बरदास कर ले मुमकिन भी है क्या..


 मोहब्बत को इबादत इबादत को मोहब्बत कहते हैं..

 कभी सोचा  जिस मा ने जन्म दिया प्यार से पाला उसे क्या कहते हैं..


 है खूबसूरती  फूलों में वादियों में और अच्छी सोच वाले नजरों में..

 मां से खूबसूरत है कोई तो बता दो..


 ना किसी से शिकवा ना शिकायत रखती है..

 मां दिल में चाहते बेशुमार रखती है..


 जान लुटा दोगे बदकिस्मती है तुम्हारी मोहब्बत में..

 बाबू सोना कुछ नहीं सामने मां की मोहब्बत मैं..


 वफा से बेवफा ई तक सीमित है मोहब्बत तुम्हारी..

 शब्द कम पड़ते हैं बयां करने को मां की मोहब्बत..









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