14 मनमोहन कविताएं हिंदी में मेरी अभिलाषा से

1 मेरी अभिलाषा


खून देने से अगर मिलती वर्दी तो ले लेता, यह है मेरी अभिलाषा ।
    इन्सानियत के नाते अगर मिलती वोट, तो मिनिस्टर बन जाता, यह है मेरी अभिलाषा ।
       
        अगर बिना दौलत की बनती इमारत, तो गरीबों के लिए बना देता महल ।
          खुद झोपड़ियों में रह लेता, यह है मेरी अभिलाषा । अगर बाजार में मिलती बारूद तो खरीद लेता ।
             
              अपने देश के दुश्मनों को उससे जला डालता, यह है मेरी अभिलाषा ।
                अगर रहता जादूगर तो सभी इन्सान को बराबर कर देता । फिर अमीरी-गरीबी न होती, यह है मेरी अभिलाषा ।
                   
                    अगर रहता पानी का धार तो प्यासे का प्यास बुझाता, यह है मेरी अभिलाषा ।
                      अगर रहता बादल तो किसान के पुकारने पे चला आता, यह है मेरी अभिलाषा ।
                        अगर रहता सूर्य तो रोशनी बन कर अँधेरे को दूर करता, यह है मेरी अभिलाषा ।

                          2 अखण्ड भारत

                          अखण्ड भारत, जय भारत, अखण्ड विजय भारत ।

                          अखण्ड विचल भारत, अखण्ड जय भारत


                          अखण्ड मानवता का भारत, अखण्ड देव का भारत ।

                          अखण्ड सम्पदा से पूर्ण भारत, अखण्ड जय भारत ।।


                          अखण्ड बल प्राक्रम से विभूषित भारत, अखण्ड विजय भारत ।

                          अखण्ड सुन्दरता का भारत, अखण्ड जय भारत 11


                          अखण्ड नारी शक्ति का भारत, अखण्ड वीरों का भारत ।

                          अखण्ड बलिदानियों का भारत, अखण्ड जय भारत 11


                          अखण्ड झीलों, झरनों का भारत, अखण्ड विजय भारत ।

                          अखण्ड नदीयों, पर्वतों का भारत, अखण्ड जय भारत । 

                          3 मेरा राज्य

                          मेरा राज्य प्यारा राज्य, सबसे ऊँचा मेरा राज्य ।


                          खनिज सम्पदा सभी वस्तु मिलते, आम, ईमली महुए की तो बात ही नहीं करते ।


                          यहाँ पर सब मिलकर रहते, जिसे देखने दूसरे राज्य के लोग आते ।


                          भ्रष्टाचार का यहाँ कोई निशान नहीं, कोई अत्याचार को हम कभी सहते नहीं । मेरा राज्य प्यारा राज्य, सबसे ऊँचा मेरा राज्य ।

                          4 बन्धन से मुक्त चिड़ियों का जीवन


                          कभी इस डाली पे, कभी उस डाली पे । 

                          बिना भेद-भाव के बैठे हर डाली पे ।।


                          वाह रे सुन्दर चिड़ियों का जीवन कभी इस घाट पे, कभी उस घाट पे । 

                          बिना भेद-भाव के पिये जल हर घाट पे ||


                          वाह रे सुन्दर चिड़ियों का जीवन कभी मंदिर पे बैठे, 

                          कभी मस्जिद पे बैठे। बिना भेद-भाव के हर मजार पे बैठे।।


                          वाह रे सुन्दर चिड़ियों का जीवन काश, 

                          हम भी होत बिना जात के बिना पात के हम भी आज साथ होते हर मोड़ पे ।


                           काश, ऐसा सुन्दर होता हम सब का जीवन । 

                          वाह रे सुन्दर चिड़ियों का जीवन ।।


                          5 रोशनी

                          रोशनी जो फैली है, उसे कम न होने दो ।

                           रोशनी जो तुम्हारे घर में है, उसे कम न होने दो ।।


                           रोशनी जो भाई चारे का है, उसे कम न होने दो। 

                          रोशनी जो प्रेम का है, उसे कम न होने दो || 


                          रोशनी जो इन सभी का कम हो गया तो, अंधेरी जिन्दगी हो जाएगी ।

                          रोशनी जो फैली है, उसे कम न होने दो ।।

                          6 तितली न्यारी

                          तितली की रंग न्यारी, उसकी पंख भी लगती न्यारी ।

                          जब देखो मोह लेती है, उसकी चाल भी हैं न्यारी ।।


                          कभी इठलाती कभी फूलों के ऊपर है मंडराती ।

                           फूलों के ऊपर बैठकर मन को है बहलाती ।।


                          जब देखो मतवाली सी हमें है ललचाती । 

                          तितली की बात न्यारी इसलिए वो रानी कहलाती ।।


                          7 अमावस की चाँद

                          अमावस की चाँद थी वह, जब मेरी जिन्दगी उजड़ी ।

                           काली अँधेरी रात थी वह, जब मेरी मुहब्बत उजड़ी ।। 


                          थोड़ी सी चिराग थी, फिर भी अमावस की रात थी । 

                          मैं वही हूँ, पर उजड़ी कली हूँ मैं, जब यह कली उजड़ी थी, वह अमावस की चाँद थी।। 


                          मैं अकेला था जब वह अमावस की चाँद थी । 

                          जब मैं टुटा वह अमावस की रात थी ।।

                          8 मेरी दो प्यारी माँ

                          प्यारी सी न्यारी सी मेरी दो प्यारी माँ । 

                          खुशियाँ देती है हमें वो सारी, मेरी दो प्यारी माँ ।। 


                          टपक जाए जो आँखों से आँसू रो देती है, मेरी दो प्यारी माँ । 

                          लाखों में हजारों में एक है, मेरी दो प्यारी माँ ।। 


                          गम हो या खुशी साथ देती है, मेरी दो प्यारी माँ । 

                          अगर दर्द हो सिने में तो आँचल में छिपा लेती है, मेरी दो प्यारी माँ ।।


                          जो दूर हो जाऊँ इनसे दिल मचल जाता है । 

                          मैं एक अच्छा इन्सान बनूँ आशीष देती है, मेरी दो प्यारी माँ ।। 


                          विजय के पथ पर जाने से पहले तिलक लगाती है, मेरी दो प्यारी माँ।

                          बिना इनके आँचल में छाए रह सकता नहीं, मेरी दो प्यारी माँ, मेरी दो प्यारी माँ ।


                          9 खामोशी

                          ख़ामोशी क्यों है छाई, आज इन वादियों में । 

                          ख़ामोशी क्यों है छाई, आज इन फिजाओं में ।। 


                          खामोशी क्यों है छाई, आज इन फूल कलियों में । 

                          ख़ामोशी क्यों है छाई, आज हर एक का जीवन में ।। 


                          ख़ामोशी क्यों है छाई, आज इन खुशीयों में । 

                          ख़ामोशी क्यों है छाई, आज मेरे वतन में ।।


                          बस आतंक है इसका कारण, मिटा डालो इस आतंक रूपी ख़ामोशी को । 

                          आतंकवादी हिल उठे, सैनिकों ने भृकुटी तानी जब ।।

                          10 बसंत ऋतु


                          वसंत ऋतु आयी नयी नयी कोमल पत्तियाँ पेड़ों पर आयी

                          जब वसंत ऋतु आयी..

                           

                          जो निरझर होकर झड़ चुकी थी

                          उसपर भी कोमल फूल पत्तियाँ आयी

                          जब वसंत ऋतु आयी..

                           

                          आम, पीपल, पलास पर भी कलियाँ नयी निकल आयी

                          जब वसंत ऋतु आयी..

                           

                          जो चिड़ियाँ चहचहाना भूल चुकी थी

                          वे भी अब झूम-झूम कर गाने लगी

                          जब वसंत ऋतु आयी..

                           

                          जो भौरा भूखा कहीं सोया पड़ा था वह भी जाग गया

                          जब वसंत ऋतु आयी..

                           

                          इसी ख्यामियों से जग कहता है

                          बसंत को ऋतुओं का राजा वसंत ऋतु ।

                           

                          11 हम हिम्मत न हारेंगे

                          हिम्मत जो हार गये वे वीर कैसा । 

                          जो पथ से डगमगा गये वे पथिक कैसा ।।


                          हम हिम्मत न हारेंगे हम हैं एक वीर, हम हैं वह पथिक ।

                          हम हिम्मत न हारेंगे..


                          जो थोड़ी सी दुःख में विचलित हो जाए, वह इन्सान कैसा । 

                          जो थोड़ी सी बात में क्रोधित हो जाए वह व्यक्ति कैसा ।।

                          हम हिम्मत न हारेंगे


                          जो कुर्बानी से डरता हो वह सैनिक कैसा । 

                          जो मरने से डरता हो वह मनुष्य कैसा ।

                          हम हिम्मत न हारेंगे ...


                          जो आगे बढ़कर पीछे देखे वह योद्धा कैसा । 

                          जो काम ठानकर न कर सके, वह नव जवान कैसा ।। 

                          हम हिम्मत न हारेंगे ।


                          12 कल का इंतजार


                          कल का इंतजार सभी को होता है, पर कल कभी नहीं होता । 

                          जो कल इंतजार करता है, उसके लिए कभी कल नहीं होता । 


                          यूँही कल के इंतजार में जीवन गुजर जाता है, पर कल कभी नहीं आता ।

                          कल का इंतजार न करो, फिर अपना काम यूँही पूरा करो।

                          कल कभी नहीं होता है, कल का इंतजार न करो ।।


                          13 सेना

                          देखो खड़ा है हमारी सेना ।
                          कभी नहीं डगमगाता है यह सेना ।।

                           


                          ज्योंहि पाता तनिक दुश्मनों का इशारा |
                          त्योंहि चल पड़ता है बेचारा ।।

                           


                          हमें आँच नहीं आने देता ।
                          शहर गाँव सभी को बचाता ।।

                           


                          ताने बन्दूक सट से युद्ध भूमि में जाता ।
                          "भारत माता की जय" का नारा लगाए जाता।।

                           

                          रोज देश को बचाने का उपाय है सोचता ।
                          शरहद पर दुश्मनों को हार का मजा है चखाता ।।

                           

                          देखो खड़ा है हमारी सेना ।
                          जय हिन्द, जय भारत की विजय सेना ।।

                          14 जीवन की धार

                          जीवन की धार में बहते हैं सभी,

                          कभी रूक के, कभी थक के कभी मंद गति से, कभी तेज गति से ।

                           

                          मगर जो बहे एक समान । 

                          उसका जीवन बनता है महान ||

                           

                          जीवन में मरते हैं सभी, मगर सभी एक समान । 

                          जो मरते हैं अपने वतन पे वे कहलाते हैं महान ।।


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