तुम्हारी मोहब्बत ने क्या दिया दर्द के सिवा | गजल हिंदी में - VOICE OF MEMORIES
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तुम्हारी मोहब्बत ने क्या दिया दर्द के सिवा |
कि तुम्हारी मोहब्बत ने क्या दिया दर्द के सिवा..
हर खुशी गम में तब्दील हो गई |
आशिक थे दीवाने थे कितने तुम्हारे प्यार में..
हमारे जैसा कोई मिला ना तुझे |
तुम्हारी मोहब्बत ने क्या दिया दर्द के सिवा..
हर खुशी गम में तब्दील हो गई |
चाहते इस कदर थे हम तुम्हें..
तुम्हारी चाहतों ने क्या दिया गम के सिवा |
नजरें उठाकर देखूं और दो कदम चलूं मैं..
तुम्हारी यादें घेर कर बैठ जाती है मुझे |
ऐसी भी क्या जुस्तजू है तुम्हारी यादों को मुझसे..
दर्द के सिवा कुछ दिया नहीं कभी इन्होंने |
कि जिंदगी सिर्फ तुमसे है ऐसा मुझे लगता था..
तुम्हारी चाहतों ने क्या दिया गम के सिवा मुझे |
कलम है जो साथ नहीं छोड़ते हमारा..
लिख देता हूं जो दिल पर गुजर जाती है |
ऐसी भी क्या जुस्तजू है तुम्हारी यादों को मुझसे..
दर्द के सिवा कुछ दिया नहीं कभी इन्होंने |
किस कदर पागलपन छाया है मुझ पर तुम्हारा..
तुम्हारी तस्वीर के सिवा कुछ देखा नहीं हमने |
यह कलम है मेरे पास जो साथ नहीं छोड़ती मेरा..
कब का दम निकल चुका होता |
तुम्हारी यादों ने क्या दिया मुझे..
गम के सिवा कुछ और उम्मीद नहीं इनसे |
अगर ऐसे फितरत थी तुम्हारी..
तपती गर्मी में गर्म हवा का झोंका बन जाती |
दो शब्द बातें कर लेता अकेले में..
तुमसे नजरें नहीं मिलती |
वह तुम्हारा मेरे पास से गुजर जाना याद है मुझे..
मेरी और देख कर मुस्कुराना याद है मुझे |
तुमसे नजर नहीं मिलती मेरी..
आज तन्हाइयों से रिश्ता नहीं होता मेरा |
दो शब्द बातें कर लेता अकेले में अगर'..
आज तन्हाइयों से रिश्ता नहीं होता मेरा |
यह नदियों का पानी किनारे पर बैठा..
वह पीपल की छांव बहुत सुकून देती थी मुझे |
कैसे बदनाम करूं उस पीपल के छाव को..
गलती हमारी थी नजरे भटक गई तुम तक |