I. साझेदारी फर्म का पंजीकरण किस अधिनियम के अंतर्गत होता है? ?
ans- भारतीय साझेदारी अधिनियम 1932
Il. भारत में किसी एक रोजगार उन्मूलन कार्यक्रम का नाम बताइए।
ans- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा / MNREGA)
lll. “उद्यमिता वस्तुतः एक सृजनात्मक क्रिया है।” यह कथन किसका है
ans- शुम्पीटर
IV. ऋणपत्रों पर ब्याज के भुगतान की अवधि क्या होती है : ?
ans- 2 वर्षों की ऋण स्थगन अवधि शामिल है
V. भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान कहां स्थित है।
ans- यह संस्थान लालमती, खेल गाँव के पास, बसिष्ठ चिराली, 37
राष्ट्रीय राजमार्ग बाईपास, गुवाहाटी में स्थित है।
Vl. कौन सी संस्थान उद्यमियों को वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
ans- भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक
3.एक अच्छे और सफल उद्यमी के लिए किन गुणों का होना
आवश्यक है? व्याख्या करें।
ANS _ एक अच्छे और सफल उद्यमी के गुण (udyami ke gun)
1. जोखिम वहन की क्षमता
हर उधग मे कुछ न कुछ जोखिम होता है तथा उद्यमी मे जोखिम वहन
करने की क्षमता होना बहुत जरूरी है। उसे कई जोखिमों को वहन करना
पड़ता है। किसी भी उधम के अन्तर्गत साहसी को संभावित सफलता तथा
हानि को संतुलित करते अनिश्चितता के वातावरण मे निर्णय लेने होते है
, जिनके परिणाम अज्ञान तथा अनिश्चित होते है। उद्यमी सदैव स्थित का
पूर्ण मूल्यांकन करते हुए ही जोखिम उठाता है।
2. प्रसन्न मुद्रा
उद्यमी मे प्रसन्न मुद्रा का भी गुण होना चाहिए। यदि वह प्रसन्न, हँसमुख
एवं तरोताजा रहता है तो अगला पक्षकार उससे प्रभावित हो जाता है।
3. निर्णय लेने की क्षमता
किसी भी व्यावसायिक अवसर का लाभ तभी उठाया जा सकता है जबकी
उद्यमी मे तत्काल निर्णय लेने की क्षमता हो। उद्यमी द्वारा लिये गये
निर्णयों का प्रभाव उपक्रम के भविष्य पर पड़ता है, इसलिए निर्णय
सृजनात्मक तथा लाभप्रद होना चाहिए।
4. कल्पना शक्ति
उद्यमी मे कल्पना शक्ति अवश्य होनी चाहिए। इसी के आधार पर साहसी
उपक्रम की कल्पना करता है, उसको मूर्त रूप देता है, व्यवसाय संचालन
की योजना बनाता है तथा उसी के अनुसार कार्य करता है। लेकिन उद्यमी
की कल्पना शक्ति तथा उच्च महत्वाकांक्षा वास्तविक परिस्थितियों को
मध्यनजर रखते हुए होनी चाहिए।
5. परिश्रमी
परिश्रम सभी कार्यों की सफलता की कुँजी है। अतः प्रत्येक उद्यमी मे
मेहनत तथा कठोर परिश्रम करने का गुण अवश्य होना चाहिए यद्यपि
सभी व्यवसाय एवं उधोग जटिलताओं, अनिश्चितताओं तथा जोखिमों से
परिपूर्ण होते है, फिर भी परिश्रमी उद्यमी इन सब परिस्थितियों मे धैर्य
तथा मेहनत के साथ कार्य करता हुआ उपक्रम का विकास तथा विस्तार
कर सकता है।
13. महत्वाकांक्षी तथा परिपक्व
उद्यमी महत्वाकांक्षी तथा परिपक्व विचारों वाला व्यक्ति होना चाहिए।
प्रगतिशील विचारों विचारों वाला साहसी प्रबंध के आधुनिक सिद्धांतों का
प्रयोग करेगा, क्योंकि रूढ़िवादी दृष्टिकोण एवं परम्परागत विचारधारा
उपक्रम की प्रगति मे बाधा डालती है।
14. व्यवसायिक अभिरूचि
उद्यमी मे व्यावसायिक अभिरूचि का गुण होना आवश्यक है। इस गुण के
आधार पर उद्यमी उपक्रम का कुशलतापूर्वक संचालन करता है तथा
निरन्तर व्यवसाय के विकास एवं विस्तार के प्रति सजग रहता है। यह एक
निर्विवाद सत्य है कि विश्व के लगभग सभी औधोगिक उद्यमी
व्यावसायिक अभिरूचि के कारण ही सफल हुए है।
15. सामाजिक तथा नैतिक गुण
उद्यमी मे कुछ सामाजिक तथा नैतिक गुणों का भी समावेश होना चाहिए।
उसमे मिलनसारिता एवं विनम्रता का भी गुण होना चाहिए। उसका चरित्र
सुदृढ़ तथा ईमानदार हो। वह सहयोग की भावना रखने वाला, आदरभावी
तथा निष्ठावान व्यक्ति होना चाहिए एवं उसका स्वभाव भी सुशील होना
चाहिए।
4.एकल स्वामित्व और साझेदारी फर्म में क्या अंतर है?
ANS-साझेदारी एवं एकाकी व्यापार में अन्तर
क्र. | अंतर का आधार | साझेदारी | एकाकी व्यापार |
1 | न्यूनतम संख्या | साझेदारी में कम से कम दो व्यक्तियों का होना आवश्यक है। | एकाकी व्यापार में केवल एक ही स्वामी होता |
2 | वैधानिक नियम | साझेदारी की स्थापना के लिए भारतीय साझेदारी अधिनियम 1932 है। | एकाकी व्यवसाय के लिए कोई विशिष्ट अधिनियम नहीं है। |
3 | विचार- विमर्श | व्यापार से संबंधित कोई भी निर्णय आपसी विचार विमर्श द्वारा होता है। | एकाकी व्यापार में विचार-विमर्श की आवश्यकता नहीं पड़ती। |
4 | पंजीयन | साझेदारी के लिए पंजीयन वैकल्पिक है, किन्तु वैधानिक आवश्यकताओं के लिए पंजीयन आवश्यक है। | एकाकी व्यवसाय के लिए पंजीयन आवश्यक नहीं है। |
5 | अधिकतम व्यक्ति | साझेदारी में साझेदारों की अधिकतम संख्या20 तथा बैंकिंग व्यवसाय की दशा में 10 है। | एकाकी व्यवसाय में व्यवसाय का स्वामी ही व्यवसाय का एकमात्र सदस्य होता है। |