साथ किसी के सफर में चलना |

साथ किसी के सफर में चलना। Saath kisee ke saphar mein chalana

साथ किसी के सफर में चलना अच्छा लगता है ,

और कभी कभी तन्हा भी रहना अच्छा लगता है । ।



कब तक ढूंढे आंखों से शीशे वाले ताजमहल ,

खुद ही लिखना खुद ही पढ़ना अच्छा लगता है । ।



तुम्हें मुबारक पूनम वाला चौहान मगर मुझको ,

धीरे-धीरे चांद का  ढलना अच्छा लगता है । ।



और बढ़ा दो लो दीपक की अपनी आंखों में ,

इंतजार के घर में चलना अच्छा लगता है । ।



सदियों का यह  कर्ज  चुकाए कैसे बोलो कैसे दो पल में ,

किस्तों में सांसों का कटना अच्छा लगता है । ।



चार कदम चल कर जब सूरज पुरा गांव जला डालें ,

चढ़ते सूरज  का ढलना अच्छा लगता है । ।



जिन्हें छुपाया आंखें जाने कब वो नाम बयां कर दें ,

इसलिए आंखों से डरना अच्छा लगता है । ।



जम जाए ना एहसासों के पत्थर झील सी आंखों में ,

ऐसे में आंखों का बहना अच्छा लगता है । ।



जहां पहाड़ों के गुरुर की  बर्फ  पिघलने लग जाए ,

संग उसी के हमें भी फिसलना अच्छा लगता है । ।



आप किसी के सफर में चलना अच्छा लगता है ,

और कभी कभी तन्हा भी रहना अच्छा लगता है । ।


कभी-कभी जब मन अकेला हो तो बहुत कुछ इंसान लिख सकता है अगर वह लिखना चाहे तो चाहे वह गजल हो कविता हो कहानी हो या उसकी मन की छोटी मोटी बातें हैं अगर वह चाहे दिल से कि वह कुछ लिखना चाहता हो तो लिख सकता है जिस तरीके से आप अभी से पढ़ रहे हैं उसी तरीके से वह लिखा जा सकता है,  हमारी कोशिश है कि आप जिस तरीके से पढ़ रहे हैं उस तरीके से आप भी लिखें अगर आप में इस तरीके से लिखने की प्रतिभा अगर है तो आप अपनी प्रतिभा को विकसित करें और लिखें काफी अच्छा लगता है अपनी लिखी हुई चीजों को समय के साथ बीते समय  को पढ़ना धन्यवाद फिर मिलते हैं किसी और लेख में आप सभी से ।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Advertising

Below Post Advertising

Advertising

World Fresh Updates