आंसू से भीगे खत ।

 आंसू से भीगे  खत  । Aansoo se bheege khat



जो रात दरवाजे पर टोना कर गया होगा,

वह आदमी भीतर से समझो डर गया होगा । ।


 

आबरू खुशबू की जिसने लूट ली बाजार में,

वह आदमी अपनी नजर में मर गया होगा । ।


 

देखना जिस दिन पुजारी की वसीयत आएगी,

वह नाम बेटों के यह मंदिर कर गया होगा । ।


 

बुलबुलों के जश्न की  जिसने  सदारत की यहां,

वह काट कर ही बुलबुलों के घर गया होगा । ।


 

पूछते हो यूं अचानक ढह गई जागीर क्यों,

जो भी खड़ा था आपका वह भर गया होगा । ।


 

जो परिंदा उड़ रहा था आसमा की बाहों में,

वह थक गया होगा तो अपने घर गया होगा । ।


 

देखकर आंसू से भीगे खत पर यह अपना पता,

वह  बिन पढ़ें  ही बाप का  खत  पढ़ गया होगा । ।


 

नाम पर उसके ही पत्थर कांपते हैं रात को,

जो पत्थरों के दर पर शीशा भर गया होगा । ।


 

सोचते हैं आसमा चमकता क्यों है इतना,

रोने के बाद कहते हैं आंखों से कचरा निकल गया होगा । ।


 

लोगों से बचकर चुपचाप निकल जाते हैं कुछ लोग,

बातों के खंजर इतने हैं कि किसी ने चुभो दिया होगा । ।


 

जो आदमी दरवाजे पर टोना कर गया होगा,

वह आदमी भीतर से समझो डर गया होगा । ।





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