कितनी मासूम हैं तुम्हरी आँखे..
कितनी मासूम हैं तुम्हरी आँखे..
मुझे देख कर खो जाया करती हैं।
जब मुझे पास नहीं पाती..
रो जाया करती हैं।
यू सुकून तो मिलता नहीं ढूंढ़ढ़ने से..
मेरे पास होने से आराम से सौ जाया करती हैं।
पल भर मे मुस्कुरा कर यू खामोश हो जाना..
फिर मेरी यादो से मुस्कुराया करती हैं।
कितनी मासूम हैं तुम्हरी आँखे..
मुझे देख कर खो जाया करती हैं।
यू कहती नहीं मुझ से कुछ भी..
पर जब बाते होती नहीं एक पल, रह नहीं पाती हैं।
कितनी मासूम हैं तुम्हरी आँखे..
मुझे देख कर खो जाया करती हैं।
डरती हो कहती हो चांदनी रात..
देखो तो जरा ये चाँद कहा किसके साथ हैं।
कभी ऐसे सोच में डूबा ना करो..
लिखा मुकदर में एक दूजे का साथ है।
कितनी मासूम हैं तुम्हरी आँखे..
मुझे देख कर खो जाया करती हैं।
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