इस खत को मुझसे पढ़वाया |
वादों पर सिर को कटवाया जाने कितनी बार
माटी को तुमने लजवाया जाने कितनी बार..
ताबीजो की ऊंची कीमत पाने की खातिर
हमको रस्सी पर चलवाया जाने कितनी बार..
मैंना के पर कतरे तूने सारी रात
कहने को तोता उड़ाया जाने कितनी बार..
गंगा से जो कल निकली थी नदी नहा कर
आग पे उसको भी चलवाया जाने कितनी बार..
तट के रखवाले थे लेकिन जहां नहाती थी मछलियां
कश्ती का लंगर गिराया जाने कितनी बार..
बीच शहर में पेड़ लगाया राजा ने एक बार
मन मैं तो जंगल उगाया जाने कितनी बार..
मेरी कस्तूरी पर तुमने मुहर लगाई है अपनी
मुझको जंगल में भटकाया जाने कितनी बार..
आंखों से खत लिखकर तुमने भेजा था एक बार
उस खत को मुझसे पढ़वाया जाने कितनी बार..
कहां छुपा है अपना सूरज, बच्चे ने मां से पूछा
चंदा मामा ने फुसलाया जाने कितनी बार..
वादों पर सिर को कटवाया जाने कितनी बार
माटी को तुमने लजवाया जाने कितनी बार..
गर्म तवे पर मां ने मारे गर्म पानी के छींटे
बच्चे को ऐसे बहलाया जाने कितनी बार..
ऐसी गजलें जिनके हर एक लाइन में मतलब छुपा होता है हमारे खुद से हमारे आस पड़ोस के लोगों से हमारे समाज से और बहुत सारी ऐसी चीजों से जिन्हें हम देख सकते हैं समझ सकते हैं उन सारी चीजों से इनका अर्थ मिलता है अगर हम अच्छे तरीके से समझना चाहें तो इन सारी लाइनों का हमारी जिंदगी से बहुत ही खास तालुकात होते हैं गहराई से अगर सोचा जाए समझा जाए तो हम अपने सालों की जिंदगी कुछ पन्नों पर कैद कर सकते हैं इस तरीके से गजल को एक नई रंग दे करके ।