मैं खुश हूं किसी के पांव से कांटा निकाल कर । Main khush hoon kisee ke paanv se kaanta nikaal kar .
दर्द की सौगात को रखा संभाल के । ।
क्या मिला है आपको किस्सा उछाल के ।
आप खुश हैं फेंके पत्थर किसी के सर पर । ।
मैं खुश हूं किसी के पांव से कांटा निकाल के ।
फूलों पर है थकी हुई कुछ और की बूंदे । ।
गिरने नहीं देना है यह मोती कमाल के ।
15 सिंगार करके कभी हाथ जो रुके । ।
चेहरे पर मैं बन जाऊंगा पीके गुलाल के ।
घुंघट को ही देखा कभी चेहरा नहीं देखा । ।
खुशबू जवाब दे गई सारे सवाल के ।
भूल जाओ कभी अपना पता मेले की भीड़ में । ।
पढ़ लेना किताबों से मेरा खत निकालकर ।
पानी पर जो लिख जाते हैं पानी से ही गजल । ।
बुझते नहीं किससे कभी है उस मशाल के ।
थक जाए कभी पांव जो लंबी उड़ान में । ।
घुंघरू बांध लेना वह टुकडे रुमाल के ।
यादें कभी आए वह पुरानी । ।
चेहरे सामान लेना जुल्फों को हटा के ।
आप खुश हैं फेंक के पत्थर किसी के घर पर । ।
मैं खुश हूं किसी के पांव से कांटे निकाल के ।
- कभी-कभी ऐसा लगता है अपने आस-पड़ोस के लोगों को देख करके या फिर आप जिन ही नहीं पहचानते हैं उनसे मिलकर क्या अचानक कि वह ना जाने आपको कब से पहचानते हैं आप और आपका परिचय कब से उनके साथ है ठीक है और बहुत बार ऐसा होता है जिसको लक बाई चांस की भी कह सकते हैं लेकिन ऐसा कहना सही नहीं होगा ठीक है तो बात यह है कि बहुत सारे ऐसे लोग होते हैं जिनकी मानसिकता आप को ले करके बहुत गलत होती है देखे आपके कामों को लेकर तो बहुत गलत होती है लेकिन आपके घरवाले या फिर आप खुद उस काम को लेकर के सही होते हैं जिस जगह पर लोग इस तरीके से सोचते हैं उस जगह पर आप खुद को नहीं बदल सकते हैं क्योंकि वह आपका काम है जो आप कर रहे हैं रोजमर्रा की जिंदगी में और दूसरा बात यह है कि आप अपनी जिंदगी में सही सलामत सहित कुछ सही कर रहे हैं लेकिन फिर भी बहुत सारे लोगों का यह मानना होता है कि इस तरीके से जो लोगों की बुराई करते हैं या फिर उनको देखते हैं ठीक है या फिर आपके सामने दूसरे लोगों के बारे में बोलना बुराई करना यह एक तरीके से बहुत ही गलत हरकत माना जाता है और बहुत सारे लोगों में यह बुराई छुपी होती है और बहुत सारे लोगों में यह कूट-कूट कर भरी होती है कि लोग एक दूसरे की बुराई बहुत ही नेक तरीके से करते हैं कहने का मतलब यह है कि इतनी शिद्दत से इस काम को करते हैं जैसे पता नहीं सदियों से उनका पैसा यह चीज चला रहा है लेकिन जो गलत है वह गलत है आखिर वह व्यक्ति एक दिन गलत साबित हो जाता है तो इन लोगों से बचके रहें दूर रहे हैं जो एक दूसरे की बुराई करते हैं और यह जो ग़ज़ल लिखी गई है वह इसी पर आधारित है कि क्या मिला आपको किस्सा उछाल कर धन्यवाद फिर मिलते हैं किसी और गजल मैं ।
I am happy by removing a thorn from someone's foot. मैं खुश हूं किसी के पांव से कांटा निकाल कर ।
Kept the gift of pain with care. ,
What have you got by bouncing the story?
You are happy Throwing stones on someone's head. ,
I am happy after removing a thorn from someone's foot.
There are tired drops of something else on the flowers. ,
Don't let it fall, this amazing pearl.
15 The hands never stopped after doing the adornment. ,
I will become PK Gulal's face.
Saw only the veil, never saw the face. ,
Khushboo answered all the questions.
Sometimes forget your address in the crowd of the fair. ,
Read by taking out my letter from the books.
Ghazals are written on water only with water. ,
To whom does that torch never get extinguished?
Sometimes the feet get tired in the long flight. ,
Tie the anklet with those pieces of handkerchief.
Once the memories come, they are old. ,
Taking the facial stuff by removing the hair.
You are happy throwing stones at someone's house. ,
I am happy by removing thorns from someone's feet.