ना हम इजहार कर सके ना वो इंकार कर सकें।
हम तो अकेले रह गए ना जी सके ना मर सके।।
हम तो निकले थे अकेले मंजिल की तलाश में।
कांटो पर चलकर भी उसके करीब ना आ सके।।
अब तक जिंदगी अधूरी थी अधूरी ही रहेगी।
तमन्ना बड़ी थी दिल में मगर उसे ना पा सके।।
उसे खो देने की खलिस तो उम्र भर रहेगी।
किनारे पर आकर भी अपनी कश्ती ना बचा सके।।
जहां में इजहार कर सके ना इनकार कर सकें।
आखरी दफा निकली मेरे गली से..
सोचा बहुत मगर ना दीदार कर सके।।