ना हम इजहार कर सके ना वो इंकार कर सके।

ना हम इजहार कर सकें..
 ना हम इजहार कर सके ना वो इंकार कर सकें।
 हम तो अकेले रह गए ना जी सके ना मर सके।।

 हम तो निकले थे अकेले मंजिल की तलाश में।
 कांटो पर चलकर भी उसके करीब ना आ सके।।

 अब तक जिंदगी अधूरी थी अधूरी ही रहेगी।
 तमन्ना बड़ी थी दिल में मगर उसे ना पा सके।।

 उसे खो देने की खलिस तो उम्र भर रहेगी।
 किनारे पर आकर भी अपनी कश्ती ना बचा सके।।

 जहां में इजहार कर सके ना इनकार कर सकें।
 आखरी दफा निकली मेरे गली से..
 सोचा बहुत मगर ना दीदार कर सके।।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Top Post Advertising

Below Post Advertising

Advertising

World Fresh Updates