दिल से तेरी याद जाती नहीं मैं क्या करूं।
जीने की उम्मीद नजर आती नहीं मैं क्या करूं।।
तेरे झूठे वादों ने मुझे पागल बना दिया।
सरेआम तेरी जुदाई रुलाती है मैं क्या करूं।
प्यार जगा कर भूल गए तुम मेरे वफा की कदर ना की।
सावन की हवा दिल को जला जाती है मैं क्या करूं।
तुम कहीं भी रहो चाहत कम ना होगी।
हर सांस में तेरी सूरत नजर आती है मैं क्या करूं।
दिल से तेरी याद जाती नहीं मैं क्या करूं।
जीने की उम्मीद नजर आती नहीं मैं क्या करूं।।