स्मरण शक्ति
याद हमारे मन की एक विशेष क्षमता है बीते समय में पड़ी हुई बातें जीवन में आई हुई घटनाएं समस्याएं आदि कुछ समय के बाद फिर से मन में आने लगती हैं और उसे हम व्यवहारिक जीवन में उपयोग में ला सकते हैं इस अवस्था को याद कहते हैं। याददाश्त
यह सिर्फ स्मरण नहीं है जीवन में आए हुए घर में पड़े हुए बातें बहुत समय के बाद उसी रीती से मन में आने को याद कहते हैं।
यादों के प्रकार
इसकी पूर्ति विशेष चार बातों में होती है पढ़ाई ग्रहण जरूरत के समय उसे मन में लाना और यह जाना कि जो हमने सोचा था वही है।
कुछ बातें भले ही मन में आती है परंतु उससे ही हम याद कर सकते हैं जो हमारे उद्देश्य से संबंधित है। मनुष्यों में स्मरण शक्ति कम और ज्यादा होती है।
विभिन्न परिस्थितियों में याद कायम रखने में मदद करती है।
पढ़ाई के लिए विशेष उत्तेजना की आवश्यकता है आवश्यक उत्तेजना न मिलने से पढ़ाई में रुचि कम हो जाती है यादों को बनाएं रखने के लिए पढ़ने वाले विषय का स्वभाव रुचि व्यक्ति अर्थ समय पढ़ने का तरीका पढ़ने की रफ्तार, उस में पाए जाने वाले अनुभव ध्यान पढ़ने वाले को आवश्यक नींद आराम मानसिक संतुलन प्रशंसा प्रोत्साहन आदि अनेक बातों पर याददाश्त निर्भर है।
कुछ बातें तभी याद में आती है जब उससे संबंधित कुछ बातों को देखते हैं तुलनात्मक अध्ययन बहुत ही उपयोगी होता है याददाश्त कायम रखने के लिए बहुत बातें हैं कुछ बातों को हम नीचे देखेंगे।
दोहराना
दोहराते हुए विषय को याद करने का तरीका अपना ही एक बार बार पढ़ने से पढ़ी हुई बातें मन में बैठ जाती है और याद में नहीं निकलती।
अंतराल देकर और बिना अंतराल दिए पढ़ना
पाठ को कंठस्थ करते समय लगातार पढ़ने के बजाय अगर अंतराल देकर पढ़ा जाए तो अधिक फायदा होगा। पर यह पढ़ने वाले पर निर्भर है। कुछ लोग लगातार पढ़ना पसंद करता है परंतु थकावट से बचने के लिए कुछ अंतराल देकर पढ़ना अच्छा है थकावट आए बिना आंखों और मन को थकावट पहुंचने बिना अगर पढ़ना हो तो कुछ अंतराल देकर पढ़ना ही अच्छा है। पाठ 9 पंक्ति हो तो एक ही बार में याद कर सकते हैं अगर करीब 200 पंक्ति वाली कविता हो तो उसे अंतराल देकर पढ़ना ही अच्छा है।
यह देखा गया है कि ऐसे पढ़ने से याददाश्त कायम रहती है