याददाश्त कैसे कायम रखें भाग 2

 अधिकांश और पूर्ण रूप से पढ़ना
 जो पाठ पढ़ना है उसे कई भागों में बांट कर थोड़ा-थोड़ा करके पढ़ने से अधिक फायदा है। कुछ विद्यार्थी को पूरा पाठ एक ही बार में याद करना अच्छा लगता है। परंतु इस तरह पढ़ने से मानसिक थकावट महसूस होती है। परंतु टहल टहल सर पढ़ने से पढ़ने में आसानी होती है। साथ ही साथ पढ़ा हुआ भाग याद में भी रहता है।

 मन ही मन पढ़ना और जोर से पढ़ना
 कुछ लोग जोर से बोल बोल कर पढ़ते हैं जिससे जीवन में भरा मार्ग  कहते हैं कुछ लोग बिना बोले मन ही मन पढ़ते हैं। इसे निर्जीव मार्ग कहते हैं। छोटी कक्षाओं में जीवन में भरा मार्ग अधिक लाभकारी होता है। अर्थ समझ कर और बिना समझे पढ़ना पढ़ते समय पाठ को बिना समझे कंठस्थ करने के तरीके को बिना समझे पढ़ना कहते हैं।
 इस तरह पढ़ने से विषय समझ में नहीं आने के कारण पढ़ने में मजा नहीं आता परंतु जब अर्थ समझकर पाठ पढ़ाया जाता है तो विषय का पूरा ज्ञान प्राप्त होता है और इस तरह पढ़ने को समझ कर पढ़ना कहां जाता है। इस तरह से पढ़ने से वह याद में रहता है।

 सामान कौन वाली बातों के साथ तुलना करके क्रमानुसार पढ़ना
 याद को बनाए रखने के लिए इस तरह का दिन बहुत ही उपयोगी है उदाहरण के लिए वह बड़ी संख्या 5673 4234 याद रखना कठिन है परंतु अगर हम उसे 367 567 234 मैं विभाजित कर याद रखे तो जल्द नहीं भूलेंगे। या तो किसी और विषय के साथ तुलना करके पढ़ा जाए तो भी याद रखना आसान है।

 याद रखने का आधार
 याद रखने का आधार अर्थात पढ़ना ग्रहण करना फिर से मन में दोहराना भेद करना आदि को अभ्यास के द्वारा दृढ़ बनाना कठिन है।
 परंतु यह साबित हो चुका है कि कुछ दवाओं के इस्तेमाल करने से ग्रहण करने की क्षमता बढ़ाई जा सकती है। पढ़ाई और याददाश्त को अधिक स्थाई और ब्रेड बनाने के लिए पढ़ाई करने की रीति बहुत महत्वपूर्ण रखती है।
 पढ़ाई के लिए योग्य वातावरण का होना बहुत जरूरी है पढ़ने वाले व्यक्ति की मानसिक अवस्था का याददाश्त निर्भर करता है। विद्यार्थी में पढ़ने की इच्छा होती है और होनी भी चाहिए। विभिन्न विषयों में विशेष रूचि एवं ध्यान होना आवश्यक है। अंग्रेजी में एक कहावत इस प्रकार है।
 Interest is the mother of attention and attention is the mother of memory
 पढ़ने वाली बातों को अगर किसी से तुलना करना और उससे तुलना करके पढ़ने की कोशिश करना बहुत ही फायदेमंद होती है। उदाहरण के लिए अगर एक व्यक्ति का जन्म 1998 में हुआ हो तो उसे याद रखने के लिए भारत जिस वर्ष तंत्र हुआ उसे जोड़ कर तुलना करें और याद करें।
 इस तरह उस व्यक्ति के जन्म वर्ष को याद रखना आसान हो जाएगा इसी प्रकार पढ़ते वक्त महत्वपूर्ण बातों को किसी और घटना या कोई महत्वपूर्ण बातों से जोड़कर याद करें तो याद करना आसान हो जाएगा।
 विभिन्न विषयों को पढ़ने समय उस पर पाई जाने वाली महत्वपूर्ण बातों को आदतों को याद रखने से बात याद रखना आसान हो जाता है।
 कहीं बाहर ही बातों पर हमने ध्यान दिया परंतु कुछ आंतरिक बातों को भी ध्यान देना जरूरी है पढ़ने वाले व्यक्ति की शारीरिक स्थिति मानसिक स्थिति उसकी समस्याएं आदि उसकी पढ़ाई और उसकी याददाश्त पर प्रभाव डालती है। विद्यार्थी के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करने के बाद ही उसकी पढ़ाई के बारे में समझना चाहिए और समझा भी जा सकता है।

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