जल गया सब कुछ
चल गया सब कुछ..
हालात कुछ ऐसे थे
भींगी आँखों तले कुचल गया सब कुछ..
जब निकला घर से ये दुनिया देखने को
अपनों ने सीखा दिया सब कुछ..
दर्द नहीं हुवा कुछ ऐसी चाहत थी
हालात कुछ ऐसे थे सीखा गया सब कुछ..
आँखों मै आँशु आ कर सुख गए
कुछ तो दर्द दे गए कुछ आंखे मीच गये..
मज़बूरीया आयी थी
मुझे बताने को कुछ कुछ..
जो आंखे बंद कर के भरोसा कर गए
उसी भरोसे ने ही लूट कर ले गया सब कुछ..
जरूरी ये नहीं के बेबशी सिर्फ मुहब्बत मे थी..
दिल मे चुभने वाली
बाते अपनों से भी सुनाने को मिलती है कुछ कुछ..