ओ दिन क्या खूब थे
मेरे बचपन के।।
ना हम कुछ चाहते थे
और ना कुछ मिलता था।।
दिन भर धुप मै घूम घूम कर खेलना
और शाम को माँ से थप्पड़ खाना।।
फिर प्यार से अपनी हाथो से
मुझे अपने पास बुला कर सहलाना।।
आज याद आते है
वो बचपन के दिन।।
मेरी सरारते मेरी बदमाशीयाँ
आज भी याद है मुझे।।