घनी काली अंधेरी बरसती रात में पल भर को एक बिजली चमकती है और रात के दामन को रोशनी से भर देती है | जिंदगी के लंबे सफर मैं कोई एक पड़ाव ऐसा भी आता है जहां किसी पेड़ तले सहम सहम कर ताकत भी दो आंखें पूरी उम्र तक दिलों दिमाग पर छाई रहती है । कांटो से गुथे जंगल के जिस्म पर फूल की हल्की सी भीनी खुशबू जंगल में मंगल मना देती है । एक बोली यदि दिनों में छूट गई तो हजारों गोलियों की मार पर भी भारी पड़ सकती है । घूमने के लिए जिंदगी के लाभ 2 घंटे कम पड़ सकते हैं और याद रखने के लिए एक छोटी सी खड़ी ही काफी है । जिंदगी लंबे चौड़े जिस्म का नाम नहीं दिल में धड़कते हुई धड़कन का नाम है । धड़कनों की धमक बहुत दूर तक सुनाई नहीं देती लेकिन हल्की धड़क कर भी वह जिंदगी को जिंदा रखती है । डॉक्टरों की सुई की एक हल्की सी चुभन जिंदगी को चंगा कर देती है और बांहें फैलाकर नालों को भी पवित्र कर देती है क्षमता किसी नदी को गंगा बना देती है । आंखों से दिल की पूरी किताब पढ़ने के लिए आंखों की एक बूंद काफी होती है । और वैतरणी पार करने के लिए गंगा की एक मात्र एक बूंद जिससे चलते-चलते होठों से लगाने की तमन्ना हर कहीं मौजूद रहती है । बूंद का छोटा होना उसकी अहमियत को कम नहीं करता है । जिंदगी के पूरे फलसफे पर भारी पड़ने के लिए मोटी मोटी किताबें जहां काम नहीं कर पाती वहां बहती हुई एक छोटी कहानी अपना काम कर जाती है । जहां कहानियां भी जिंदगी के वजूद को समेटने में हल्की पड़ती है वहां एक छोटी सी कविता गीत या ग़ज़ल दिमाग से दिल और दिल से धड़कन में उतर कर जिंदगी की जिंदगी बन जाती है । और हम सब जिंदगी के बाहों में मन मस्त होकर आराम से जीना सीख जाते हैं मौत का डर किसे रहता है मोहब्बत के बाद कहीं-कहीं पूरी ग़ज़ल को दरकिनार कर उसका एक से ही दिमाग दिल और धड़कन तीनों को एक साथ देख कर जिंदगी की पूरी कायनात को जुगनू की रोशनी और तितलियों के रंगों से जगमग आ देता है । प्यास बुझाने के लिए सागर की नहीं गागर की आवश्यकता पड़ती है जिसने गागर में सागर भर दिया वह ना जाने की किडनी की प्यास बुझा सकता है । गागर में सागर भर कर जिंदगी को मुकम्मल एहसास से भर देने का ही दूसरा नाम ग़ज़ल जो देखने में छोटे लगे घाव करे गंभीर । मत ले और मक्के के बीच बंधे हुए गजल महज महबूब से गुफ्तगू नहीं करती वह तो वह छोटी चिड़िया है जो घोसले से निकलती है धरती से आसमान तक का सफर तय करती है शाम को जब वापस आती है तो उसके जाने और आने के रास्ते चहचहाहट से काफी दूर और देर तक घूमते रहते हैं । साहित्य की भी यह होती पर बहुत और देर तक मार करने वाली विधा गजल महबूब के जिस्म से उतरकर हाथों के छलकते हुए प्याले बगल रखकर जिंदगी की 4 दूरी जमीन पर खेत खलियान से गुजरकर विवाह के माथे की शिकन और मिट्टी के खिलौने के लिए रोते बच्चे की मजबूरियों तक जा पहुंची है आज की गजलें जिंदगी की गजलें हैं । इनमें जिंदगी का हर पहलू जवान होता नजर आता है पूर्णविराम इसमें फूलों की खुशबू और कांटो की चुभन भी है , बेवफा के इल्जाम आते हैं और वफ़ा की तनी चादर भी है, मजबूरियों के तार तार चादर है तो चादर डालते दुआओं वाले हाथ भी हैं । जब तक गजल महबूब की नजरों में तैरती रही तो उसे यूं नवाजा गया;-
''तेरा काजल हंसा तो अंधेरा हुआ
और बिंदिया हंसी तो सुबह हो गई
तेरी पलकें उठी तो कमल खिल गए
और नजरे झुकी तो गजल हो गई''
और अब जिंदगी को मुकम्मल रूप में ग़ज़ल ने देखा परखा तो पलकों से उतरकर मुखिया तांती आज के हालात जज्बात और खेत खलियान तब भी आ गई'-
'' जाम में तो चलती रही कल तलक
खेलती खेत में अपनी पारी ग़ज़ल
रहनुमाई भी करने लगी पांव में
अब कहीं ना कहीं से बेचारी गजल''
और आज की ग़ज़ल का एक चेहरा यह भी है;-
'' कुछ मुठिया तनी हुई आंखें उठी हुई
यह वक्त के खिलाफ मुकम्मल बयान है''
ऐसे ही बहुत सारी गजल जो जिंदगी के नाम मोहब्बत के नाम लिखी गई है वह आप इस पर पढ़ सकते हैं|