बारिश के बूंदो को कई बार देखा है।।

आसमा मै 

आसमा से आते..
बारिश के बूंदो को कई बार देखा है।।

बिजलीओ को..
चिल्ला कर चमकता देखा है।।

बूंदो की चाहत..
बहती हुई पानी की धार होती है।।

पर अक्सर सुखी जमी...
पर बूँदो को दम तोड़ते काई बार देखा है।।

मिलती नहीं मन्नते..
एक अमां को रोते कई बार देखा है।।

यहाँ रहम की दुवा ना करना..
आँखों से निकलने से पहले आँशु सुख जाते है।।

जब भी गुजरा हूँ..
इन बड़े लोगो की महफिलो से।।

पास खड़े फटे लिबास मै..
छोटे बच्चों को कई बार देखा है।।

उम्मीद करू..
किस बात की आप से।।

हमारी तरह..
आप भी खाली हाथ ही आये है।।

दो कदम की जिंदगी है..
मुट्ठी बंद कर के चलते है।।

मुस्कुरा दीजिये लोगो को देख कर..
क्या पत्ता कब मुट्ठी खोल कर निकल दीजिये-गा ।।













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